इंडिया : पूरा देश करोना की मार से कराह रहा है चारों ओर उदासी का मंजर चारों ओर तड़प की तस्वीरें चारों ओर लोग मर रहे हैं प्रार्थनाएं करें भाग रहे हैं चिल्ला रहे हैं और इस बेबसी और चारगी बदहवासी को दूर करने के लिए क्या अब सिर्फ एक ही रास्ता बचा है लॉकडाउन ? क्या लॉकडाउन (Lockdown) ही आपको रोना की इस महामारी को रोकने में कारगर हथियार बचा है सवाल इसलिए उठा है क्योंकि भले ही पीएम कहा हो कि लॉकडाउनअभी अंतिम बिकल्प माने लेकिन महजूदा समय यही कह रहा है कि शायद अंतिम बिकल्प माने की घड़ी आ गई है जिसकी दुहाई अब हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भी दे रहे हैं
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल बिज बताते है #Lockdown
हम लॉकडाउन नहीं लगाना चाहते थे लेकिन लोगों को जिस प्रकार से कोविड के नियमो का पालन करना चाहिए था उन्होंने नहीं किया हमारी भरसक कोशिशों के बावजूद भी नहीं किया उसे कोरोनावाइरस के केस बहुत बढ़ गए तो इसलिए हमें अब कोई चारा नहीं बचा था।
देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी कहा है कि सरकारों को लव दौरान के बारे में विचार करना चाहिए था ना कि सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा गया है कि अगर संत में रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया जाता है तो इससे पहले गरीब तबके की जरूरतों को पूरा करने का ध्यान रखा जाए कुछ ऐसी ही माल आज विपक्ष की ओर से भी की गई है जब एनसीपी नेता नवाब मलिक ने लॉकडाउन से पहले नेशनल पार्टी बनाने की बात कही और कहा कि इसके लिए सरकार को पूरे विपक्ष से चर्चा करनी चाहिए
महाराष्ट्रा सरकार के मंत्री नावाब मालिक बताते है #Lockdown
न्यायालय जो भी फैसला करेगा लेकिन मोदी जी देश में हेल्थ इमरजेंसी लागू करें और देश के सभी विपक्षी पार्टियों को भुलाए बैठे और कोई एक रणनीति के तहत इस संकट से लड़ा जाए अकेले मोदी जी के बस का इस संकट से लड़ना नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट से पहले भले ही टुकड़ों में किस्तों में अलग अलग सरकारों ने अलग अलग नाम से लॉकडाउन लगाएं मगर उन्हें भी लगा कि लॉकडाउन जरूरी है सबसे पहले लॉकडाउन वाली इस पहल की शुरुआत महाराष्ट्र में हुई जो कोरोनावायरस के संकट से सबसे ज्यादा जूझ रहा है बड़ी बात यह है कि महाराष्ट्र में आंशिक लॉकडाउन का असर भी दिखा और यहां कोरोना मरीज काम हो रहे है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल बताते है
हम देख रहे है की केसेस में कुछ पाई जा रही है लेकिन ये अर्ली सिगनल है 1 मई को देश में करीब चार लाख केसेस रिपोर्ट हुए थे तो 2 मई को करीब 3 लाख 92 हजार केसेस और अगर पिछले 24 घंटे का डाटा एनालिसिस करे तो हम तो पाते हैं 3 लाख 67 हजार के केसेस रिपोर्ट हुए थे तो शायद के केसेस में कुछ हद तक कमी पाई जा रही है लेकिन यह बहुत ही अर्ली सिग्नल है इसको एनालाइज करने की जरुरत है।
महाराष्ट्र के बाद राजस्थान उड़ीसा जैसे राज्यों ने आंशिक लॉकडाउन कर्फु का फैसला किया और कई राज्य वीकेंड लॉकडाउन की और बढ़े ये बात साफ है की कमजोर तपके के लोगों को होने वाली मुश्किल और आर्थिक हालात को देखते हुए अब तक लॉकडाउन को आखिरी बिकल्प माना जा रहा था लेकिन करोना कि मार को देखते हुए अब खुद व्यापारिक संगठन लॉकडाउन की वकालत करते दिख रहे हैं
पूरी कोशिश और क़बायत अब सिर्फ इस बात की है कि किसी तरह कोरोनावायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ा जाए और महामारी की मार से आई आफत से लोगों को राहत दिलाई जा सके चाहे इसके लिए कुछ समय के लिए लॉकडाउन जैसा सख्त कदम क्यों न लगाना पड़े।
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