Gorkha : Akshay Kumar की आने वाली फिल्म Gorkha का पोस्टर अक्षय कुमार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से कर दिया है और उन्होंने लिखा “कभी-कभी आपके सामने इतनी प्रेरक कहानियाँ आती हैं कि आप उन्हें बनाना ही चाहते हैं। महान युद्ध नायक मेजर जनरल इयान कार्डोजो के जीवन पर ऐसी ही एक फिल्म है। एक आइकन की भूमिका निभाने और इस विशेष फिल्म को प्रस्तुत करने के लिए सम्मानित“ गोरखा (Gorkha) के पोस्टर में दिखा रहा है की अक्षय कुमार गोरखा (Gorkha) रेजिमेंट के सैनिक Major General Ian Cardozo का रोल निभा रहे है।
ये फिल्म कब रिलीज इसके बारे में अभी कोई जानकारी अभी नहीं दी गई है अभी फिल्म सूटिंग की तयारी चल रही है
Sometimes you come across stories so inspiring that you just want to make them. #Gorkha – on the life of legendary war hero, Major General Ian Cardozo is one such film. Honoured to essay the role of an icon and present this special film.
Directed By – @sanjaypchauhan pic.twitter.com/4emlmiVPPJ
— Akshay Kumar (@akshaykumar) October 15, 2021
कौन है Major General Ian Cardozo
जय मां काली आयो गोरखा वाली यह नारा है दुनिया की सबसे जांबाज गोरखा रेजीमेंट का यह बात 1971 के इंडिया और पाकिस्तान (Indo-Pak) वर की जिसमें कार्डोजो (Major General Ian Cardozo) 5th गोरखा राइफल की फोर्थ (04th) बटालियन में थे तब कार्डोजो (Cardozo) कि गोरखा राइफल सरहद पर युद्ध लड़ रही थी जो पूर्वी पाकिस्तान में था जब पाकिस्तानी सेना से लड़ते हुए कार्डोजो के एक अफसर शहीद हो गए तब तक उनकी जगह लेने के लिए जंग में कार्डोजो (Cardozo) भेजा गया है
कार्डोजो को उनके जवान साथी कारतूस साहब कहकर पुकारते थे सहद की जंग में कार्डोजो के बटालियन को एक भारी गोलाबारी का सामना करना पड़ा था सामने पाकिस्तान की बहुत बड़ी सेना थी और भारत के पास एक छोटी सी बटालियन थी वह लगातार पाकिस्तानी सेना से लड़ रहे थे खाना और गोला-बारूद खत्म हो रहे थे फिर भी कार्डोजो वहां पर डटे हुए थे कार्डोजो को बताया गया था कि 48 घंटे में एक बड़ी पलटन उनका साथ देने के लिए आएगी
लेकिन विपरीत परिस्थिति के चलते ऐसा नहीं हो पाता बटालियन के पास अब सामान खत्म हो रहा था इसी बीच रेडियो पर बीबीसी (BBC) की खबर चलती है जो कि भारत और पाकिस्तान की फौज सुन रही थी जिसमें कहा जा रहा था कि अब सरहद पर गोरखा की एक ब्रिगेड पहुंच चुकी है और यह बात सुन कर कार्डोजो (Major General Ian Cardozo) ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू करवा दी
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गोरखा रेजिमेंट (Gorkha Regiment) की 532 जवानों ने 1000 पाकिस्तानी सैनिकों से आत्मसमर्पण करवाया था
फाइनली सिलहट पर कब्जा कर लिया 532 जवानों ने तब सिलहट पोस्ट पर 1000 पाकिस्तानी सैनिकों से आत्मसमर्पण करवाया था विजेता पटा लेना शहर की ओर निकल पड़ी थी रास्ते में कार्ड पर एक बारूदी सुरंग पर पड़ जाता है एक जोरदार धमाका होता है और तो बहुत दूर जाकर गिरते हैं कांटों से लहूलुहान हो गए थे और उनका एक पैर बुरी तरीके से जख्मी हो गया था
Major General Ian Cardozo को अपने कैंप में लाई जाती है लेकिन तब वहां पर कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था हर कोई इस बात से घबराया हुआ था तब का होश आ जाता है ना कोई मेडिकल फैसिलिटी महजूद थी कोई हेलीकॉप्टर कार्डोजो ने देखा कि अब उनका जख्म सड़ने लगा था तो उन्होंने अपने एक साथी से अपनी खुखरी मंगवाई और अपने साथियों से कहा कि वो उनका जख्मी पैर वह काट दे लेकिन वह साथी ऐसा नहीं कर पाता बाद में कार्डोजो खुद खुखरी की मदद से अपने पैर काट देते हैं
Cardozo ने पाकिस्तानी में इलाज करवाने के दैरान ये सार्थ रखी थी
ना मॉर्फिन था और ना पेनकिलर फिर भी कार्डोजो वह दर्द सहन कर जाता है उनके साथी कमांडिंग अफसरों को नजदीकी पाकिस्तान के अस्पताल में ले जाने का बोलते हैं लेकिन Cardozo उस वक्त अपनी दो सार्थ रखते हैं पहली कि वह किसी भी पाकिस्तानी का खून नहीं लगवाएंगे और दूसरी कि जब उनका ऑपरेशन चल रहा हूं तो वह ऑफिसर उनके पास रहेगी “क्योंकि मैं नहीं चाहता कि वह मेरा दूसरा पैर भी काट दे“आगे सिलहट के अस्पताल में ऑपरेशन पूरा होता है युद्ध खत्म होने के बाद Cardozo को पुणे आर्मी हॉस्पिटल में भेज दिया गया था जहां पर उनको एक नकली पैर भी लगवाया गया था
नकली पैर के बाद Cardozo 7 साल तक सिस्टम से लड़ते हैं उन्होंने बैटल, फिजिकल, पहाड़ी चढ़ाई है जैसे सारे टेस्ट को पार कर दिया था और साबित कर दिया कि वह दूसरों की तरह ही फिट है उनकी यह सारी मेहनत को देख कर उनको लदाख बुलाया गया था जहां पर उनको एक बटालियन दी जाती है और उनके साहस और वीरता के कारण बाद में उनको एक ब्रिगेड की कमान भी सौंपी जाती है
और अपनी सर्विस के लास्ट बार तक वही जनरल अफसर के तौर पर रिटायर हो गए Cardozo को अपनी बहादुरी के लिए अति विशिष्ट सेना मेडल से नवाजा गया था Major General Ian Cardozo ने 1965 और 1971 के जंग में हिसा लिया था और अपनी बहादुरी के डैम पर Cardozo एक ब्रिगेड और बटालियन का कमान संभालने वाले भारतीय सेना के पहले युद्ध बिकलांग अधिकारी बने
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