बिहार के बाहुबली नेता और विधायक आनंद सिंह (Anand Mohan Singh) को सरकार ने रिहा कर दिया है अनंत सिंह को बिहार के डीएम कृष्णैया को मारने का आरोप था पुलिस रिपोर्ट के अनुसार अनंत सिंह (Anand Mohan Singh) भीड़ को उकसा कर एक आईएएस ऑफिसर का मर्डर करवाया था बाद में आनंद सिंह के ऊपर लगाए आरोप सिद्ध हो गया और उन्हें लोअर कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी उसके बाद आनंद सिंह ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को उम्र कैद में बदल दिया।
Anand Mohan Singh कौन है?
सहरसा जिले के पथरिया गांव में एक स्वतंत्रता सेनानी हुआ करते थे राम बहादुर सिंह आनंद सिंह का शुरुआती परिचय यही था कि राम बहादुर सिंह उनके दादा है कहा जाता है कि 17 साल की उम्र में ही आनंद सिंह राजनीति में सक्रिय हो गए थे। 1974 के जे पी के संपूर्ण क्रांति आंदोलन पढ़ाई लिखाई छूटी। इमरजेंसी के दौरान जेल गए। जब आनंद सिंह जेल से बाहर है तो उनकी पहचान युवा राजपूत नेता के तौर पर होने लगी। 1980 में समाजवादी क्रांति सेना बनाई वह दौर था जब दलित जातीय राजनैतिक रूप से ज्यादा सजग होने लगी थी।
आनंद मोहन इसे पचा नहीं पा रहे थे उस समय की मीडिया रिपोर्ट में आनंद मोहन को कुख्यात जाति गिरोह का अगुआ बताया जा रहा था। उनकी अपनी एक प्राइवेट जाति सेना थी यह गिरोह आरक्षण के समर्थन करने वाले लोगो को निशाने पर लेता था आनंद मोहन का भी सामाजिक परिवर्तन और समाजवाद से प्रभावित होकर राजनीति में आने का फैसला किया था। लेकिन बाद में उनका नाम बिहार के अव्वल गैंगस्टर और अपराधियों में से गिना जाने लगा था। उन पर पुलिस ने इनाम भी घोषित किया। लेकिन आनंद सिंह पर एक दबंग राजपूत नेता का भी टैग था इस वजह से उन्हें राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिला।
1990 में जनता दल ने महिसि विधानसभा से आनंद सिंह को टिकट दिया वह विधायक बने इसी साल केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने का एलान किया इन सिफारिशों के मुताबिक सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी समुदाय को 27 फ़ीसदी आरक्षण दीया जाना था आरक्षण के धुर विरोधी आनंद सिंह का रास्ता यहीं से अलग हो गया 1993 में उन्होंने अपनी एक पार्टी बनाई बिहार पीपुल्स पार्टी (BPP) अब तक आनंद मोहन गैंगस्टर या दबंग से एक दबंग राजनेता बन चुके थे।
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