RRB NTPC Result : इलेक्शन से पहले की रैलिया में दी गई भाषण सुने तो ऐसा प्रतीत होता है की इस सरकार के आने से हमारा देश विकास की ओर बढ़ेगा। देश के हर एक युवक के पास रोजगार/नौकरी होगी। देश में नौकरिया बढ़ेगी ,देश में नियुक्ति की पद्धति में बदलाव आएगी। पर हकीकत में यह सिर्फ राजनितिक दाऊपेच ही होता है। 14 जनवरी को रिलीज़ हुई NTPC (Non-Technical Post Categories) लगभग 35281 vacancies के लिए हुए CBT 1 का रिजल्ट घोषित कर दिया गया है। जिसमे 7 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स को CBT 2 के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है। रिजल्ट पब्लिश्ड होने के साथ ही अभ्यर्थियों में बोर्ड के प्रति असंतुष्टि दिखाई दे रही है। इस नाराज़गी का एक झलक ट्विटर पर ट्रेंड हो रहे #RRBNTPC_SCAM और #RRBNTPC_1student_1result में देखा जा सकता है।
क्या है NTPC Non-shortlisted कैंडिडेट की तकलीफ? RRB NTPC Result
जब हमारे संवाददाता सोनू मौर्य कुछ पटना स्थित गर्दनीबाग अभ्यर्थी से शॉर्टलिस्टिंग प्रक्रिया पर बात करने पहुंचे तो राहुल कुमार (NTPC कैंडिडेट) ने कहा “पहले एक vacancy के लिए 10 कैंडिडेट compete करते थे पर इस बार 10 सीटों पर एक अभ्यर्थी compete करेगा” . इसी का जवाब एक कटाक्ष के रूप में देते हुए दूसरे अभ्यर्थी गोपाल कुमार ने कहा की “इलेक्शन भी नज़दीक है सीटे बचेंगी तभी फिर बहाली निकलेगी सरकार जिससे इलेक्शन के लिए फण्ड व युवाओ को लुभाने के लिए vacancy भी रहेगी। ” असल में NTPC cen 01/2019 CBT1 की परीक्षा कुल 13 केटेगरी के पदों के लिए हुई थी जिसका रिजल्ट के समय मेरिट में जो कैंडिडेट केटेगरी 1 में शॉर्टलिष्ट हुए है बाकि के सभी केटेगरी में हुए है इसका असर यह हुआ की 1 ही अभियार्थी का बाकि कई केटेगरी में भी रिजल्ट आया हुआ है।
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सवाल उठाये जाने के तुरंत बाद रेलवे बोर्ड ने जवाब देते हुए 15 जनवरी 2022 को नोटिस जारी किया जिसमे यह बताया की शॉर्टलिस्टिग प्रक्रिया की सारी विस्तार पूर्वक जानकारी cen 01/2019 के सुरुवाती नोटिफिकेशन में para 13 में स्पष्ट कर दिया गया था।

क्या अब जरुरत है नौकरी देने के सिस्टम में बदलाव की ?
सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे विद्यार्थी की माने तो अगर सरकार इतने बुरे कोरोना महामारी के हालातो के बिच इलेक्शन रैली निकलती है , इलेक्शन सफलता पूर्वक सम्पन्न हो जाती है और जिसका वोट काउंट कर कुछ ही दिनों में रिजल्ट की घोसणा कर दिया जाता है। और जिसकी सत्ता सिर्फ 5 साल तक ही होती है वही दूसरी और विद्यार्थियों की बात करे जिनकी पूरी ज़िन्दगी एक नौकरी पर टिकी रहती है। जिस नौकरी के सहारे पूरा परिवार की रोज़ी रोटी चलने रहती है। जिस नौकरी के सहारे बच्चो की शिक्षा निर्भर है। पर जहा नियुक्तियों की बात करे 5 सालो में एक बार निकलेगी सरकार उसकी एक हाई फाई चार्ज पे करे फिर उसके pre के परीक्षा के लिए 2 साल इंतज़ार करे फिर रिजल्ट के लिए आधा साल इंतज़ार करे तब जाके कही अगले सरकार बनने तक जोइनिंग कही हो।
क्या असर पड़ती है विद्यार्थियों के जीवन में ?
इसमें विद्यार्थियों के निजी तकलीफो के बारे में कोई सोचने वाला नहीं। कितनो के उम्र निकल जाते है। कितने हालात से मजबूर होकर किसी और पेसे को चुन लेते है। सरकार दूसरा मौका मांगती है पर अगर किसी कारण वश कोई विद्यार्थी सरकार की हुई परीक्षा में हुई देरी के कारण सरकार की तै की गई मेरिट में अगर नहीं आता तो दूसरा मौका तो दूर कोई पूछता तक नहीं। हर साल कितने बच्चे डिप्रेशन का शिकार होते है। अगर cutoff 75 है तो 74.5 लाने वाला बच्चा का क्या होना है कोई नहीं सोचता।
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